चेक बाऊंस (Cheque Bounce) में सजा | कितने दिन चलता है (Cheque Bounce)Case
आज भारत मे पैसों का लेन देन या तो ऑनलाइन होना शुरू हुआ है या चेक (cheque) के माध्यम से लेकिन यही चेक जब बैंक द्वारा स्वीकार ना करके बाउंस होने का दावा बैंक द्वारा हो जाये तो मुश्किल शुरू हो जाती है।
आज हम इस ब्लॉग में आपकी सभी समस्याओं का निवारण करेंगे चाहे चेक आपका बाउंस हुआ हो या किसी ओर का आपको दिया हुआ चेक बाउंस हुआ हो आपको सभी जवाब यहां मिलेंगे।
चेक (cheque Bounce) बाऊंस केसे होता है
यदि आपको किसी से चेक मिला और आप उस Cheque को बैंक में लगाते हो ताकि आप केश ले सके और तभी बैंक आपको खबर देता है कि इस चेक से पैसा नही निकल सकता क्योंकि खाते में बैंलेंस नही है तो ऐसी स्थिति में आपके द्वारा लगाया गया(cheque) चेक Dishonour यानी कि चेक बाऊंस हो जाता है।
चेक बाऊंस केस कितने दिन चलता है
चेक (cheque) बाऊंस केस आपके एडवोकेट के जरिये कोर्ट में एक शिकायत दर्ज होने के बाद इसमें कोर्ट अपराधी को या जिस पर आरोप लगाए गए हैं उसे समन करती हर यानी कि समन भेजती है एक समन लेने के बाद उस व्यक्ति को कोर्ट में हाजिर होना होता है ।
हाजिर होने के बाद कोर्ट व्यक्ति को एक महीने के अंदर ही एग्जामिन करती है और इस अवधि में कभी कबार एक महीना लग जाता है इसके बाद गवाही ओर अन्य प्रोसेस होन 5 से 6 माह में केस का निपटारा हो सकता है।
यदि व्यक्ति अपने आरोपों को स्वीकार कर ले और फ़ौरन ही इस मामले को लोक अदालत से निपटाने की दरख्वास्त करे तो ये मामला केवल एक से 2 माह में निपटाया जा सकता है। अन्यथा ये मामला 6 माह से 1 साल तक चल सकता है। ओर कभी कबार तो ये 1 वर्ष से 2 वर्ष तक भी चलता है, क्योंकि लोग मामले से बचने के लिए कोई ना कोई बहाना करते हुए कोर्ट आने से बचते हैं ओर मामले को लम्बा खींचते हैं, लेकिन तब भी उन्हें छुटकारा तो नहीं मिल पाता ।
चेक बाऊंस केस में समझौता Himachal High कोर्ट 2023 का फैसला ओर क्या है 147 N.I Act
देखिए इस तरह के मामलों में आपके पास समझौता करने के दो समय है एक तब जब चेक बाऊंस हुआ तो बिना कोर्ट जाए व्यक्ति से बात करते राशि को भुगतने को कह सकते हैं इसके लिए 30 दिन का समय भी कानून द्वारा तय किया गया है,लेकिन इसके बाद एक दिन का भी इन्तजार ना करे ।
दूसरा मोका आपके पास तब होगा जब कोर्ट में मामला चल रहा होगा इस दौरान यानी केस के दौरान दोनों पार्टी आपस मे मिलकर राशि का भुगतान कर सकते है। और लोक अदालत के में अपने मामले को निपटाने की अर्जी कोर्ट में लगा सकते है।
लोक अदालत समय समय पर कोर्ट द्वारा बैठाई जाति है इसका फायदा यह है कि आपसी सहमति से आप राशि तय कर लोक अदालत के समक्ष भुगत सकतें है।और इसमें समय भी कम लगता है और कोर्ट के कानूनी खर्चों से भी आप बच जातें हैं।
Himachal High कोर्ट 2023 का फैसला ओर क्या है 147 N.I Act -- अदालत ने आरोपी को बरी करते हुए इस तरह के मामलो मे अदालत को किसी भी स्टेज पर समझोता होने की सूरत में आरोपी की सजा माफ कर देने के आदेश दिए , क्योंकि निचली अदालत ने 4,80000 मुआवजा ओर तीन माह की सजा आरोपी को सुनाई थी जिसे उच्च न्यायालय ने नीरस्थ कर दिया क्योंकि आरोपी ओर शिकायत कर्ता के बीच पहले ही पेसों का समझोता हो चुका था।
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Negotiable Instruments Act की धारा 147 के अनुसार इस एक्ट के अपराध को Compoundable की श्रेणी में माना जाएगा,अर्थात कोर्ट को यह अधिकार है कि वह शिकायतकर्ता ओर अपराधी के समझौते को मानते हुए अपराधी को सजा से मुक्त करे व जुर्माने को कम करे। धारा 147 N I ACT के अपराध को समझौते योग्य मानता है ओर समझोता हो जाने पर अपराधी को सजा मुक्त करने का अधिकार कानून को देता है।
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