क्या है Himachal High कोर्ट 2023 का फैसला ओर क्या है 147 N.I Act
जैसा कि हम सभी जानते है कि cheque Bounce के केस भारत में दिन प्रतिदिन बड़ते ही चले जा रहे हैं , खेर इसके पीछे की वजह बहुत हैं जिस पर फिर कभी बात करेंगे आज का हमारा असल मकसद ये है कि cheque Bounce केस में समझोता किसी भी स्टेज पर हो सकता है,मतलब चाहे initial stage यानी आरंभिक चरण पर आपका केस हो या इस केस में सजा भी हो चुकी है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट कोर्ट का फेसला , क्या कहा कोर्ट ने।
अभी हाल ही मे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में एक मामला सामने आया जिसमें व्यक्ति ने अपने अधिवक्ता के जरिए कोर्ट को बताया कि उसे निचली अदालत से cheque Bounce केस ने सजा हो चुकी है ओर हमारे बीच समझौता हो चुका है जिसके लिए उसने स्त्र न्यायलय में भी अपील की थी जिसे जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा निरस्थ कर दिया गया ओर उसकी सजा को माफ नहीं किया गया ।
इसके बाद व्यक्ति ने उच्च न्यायलय में भी अपील दायर (आलम चंद बनाम चमन लाल बगेरा)की ओर उसे भी डिस मिस कर दिया गया,इसके बाद याची के अधिवक्ता ने तुरन्त ही धारा 482 के साथ धारा 147 के तहत हाई कोर्ट में फिर से दरख्वास्त लगाई जिसमे प्रशन ये भी उठा कि क्या Cheque Bounce केस में समझोता सम्भव है वो भी तब जब अदालत ने अपराधी को सजा भी सुना दी हो, ओर इसका जवाब अदालत ने हां में दिया ओर एक केस का रेफरेंस भी दिया जो की गुलाब सिंह बनाम विद्या सागर का केस था
जिसमे अदालत ने पहले ही यह साफ किया है कि केस के किसी भी स्टेज पर पार्टी आपस में समझोता कर सकती है, जो कि N I Act की धारा भी साफ करती है, पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कुछ केसो का भी रेफरेंस दिया जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने भी धारा 147 के तहत समझोता होने को सही ठहराया है।
अदालत ने आरोपी को बरी करते हुए इस तरह के मामलो मे अदालत को किसी भी स्टेज पर समझोता होने की सूरत में आरोपी की सजा माफ कर देने के आदेश दिए , क्योंकि निचली अदालत ने 4,80000 मुआवजा ओर तीन माह की सजा आरोपी को सुनाई थी जिसे उच्च न्यायालय ने डिसमिस कर दिया क्योंकि आरोपी ओर शिकायत कर्ता के बीच पहले ही समझोता हो चुका था।
क्या है सेक्शन 147 N.I ACT
Negotiable Instruments Act की धारा 147 के अनुसार इस एक्ट के अपराध को Compoundable की श्रेणी में माना जाएगा,अर्थात कोर्ट को यह अधिकार है कि वह शिकायतकर्ता ओर अपराधी के समझौते को मानते हुए अपराधी को सजा से मुक्त करे व जुर्माने को कम करे। धारा 147 N I ACT के अपराध को समझौते योग्य मानता है ओर समझोता हो जाने पर अपराधी को सजा मुक्त करने का अधिकार कानून को देता है।
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