क्या है Cheque Bounce Case Top 9 Answer | क्या है शिकायतकर्ता के पक्ष में नया कानून
आज भारत मे पैसों का लेन देन या तो ऑनलाइन होना शुरू हुआ है या चेक (cheque) के माधयम से लेकिन यही चेक जब बैंक द्वारा एक्सेप्ट ना करके बाउन्स होने का दावा बैंक द्वारा हो जाये तो मुश्किल शुरू हो जाती है।
आज हम इस ब्लॉग के जरिये आपकी सभी समस्याओं का निवारण करेंगे चाहे चेक आपका बाउन्स हुआ हो या किसी ओर का आपको दिया हुआ चेक बाउंस हुआ हो आपको सभी जवाब मिलेंगे।
- चेक बाऊंस कैसे होता है?
- चेक बाऊंस केस कितने दिन चलता है?
- चेक बाऊंस होने पर क्या सजा हो सकती है?
- Section 138 [ धारा 138 ] cheque Bounce होने पर क्या करें?
- चेक की वैधता अवधि क्या है?
- धारा 138 नेगोशिएबल एक्ट क्या है?
- शिकायत कर्ता के पक्ष में नया कानून
- सिक्योरिटी में दिए चेक बाउंस केस
- चेक बाउंस केस में समझौता
चेक (cheque Bounce) बाऊंस केसे होता है
यदि आपको किसी से चेक मिला और आप उस चेक को बैंक में लगाते हो ताकि आप केश ले सके और तभी बैंक आपको खबर देता है कि इस चेक से पैसा नही निकल सकता क्योंकि खाते में बैंलेंस नही है तो ऐसी स्थिति में आपके द्वारा लगाया गया(cheque) चेक Dishonour यानी कि चेक बाऊंस हो जाता है।
चेक बाऊंस केस कितने दिन चलता है
चेक (cheque) बाऊंस केस आपके एडवोकेट के जरिये कोर्ट में एक शिकायत दर्ज होने के बाद इसमें कोर्ट अपराधी को या जिस पर आरोप लगाए गए हैं उसे समन करती हर यानी कि समन भेजती है एक समन लेने के बाद उस व्यक्ति को कोर्ट में हाजिर होना होता है ।
हाजिर होने के बाद कोर्ट व्यक्ति को एक महीने के अंदर ही एग्जामिन करती है और इस अवधि में कभी कबार एक महीना लग जाता है इसके बाद गवाही ओर अन्य प्रोसेस होन 5 से 6 माह में केस का निपटारा हो सकता है।
यदि व्यक्ति अपने आरोपो को स्वीकार कर ले और फ़ौरन ही इस मामले को लोक अदालत से निपटा ने की दरख्वास्त करे तो ये मामला केवल एक से 2 माह में निपटाया जा सकता है। अन्यथा ये मामला 6 माह से 1 साल तक चल सकता है। ओर कभी कबार तो ये 1 वर्ष से 2 वर्ष तक भी चलता है, क्योंकि लोग मामले से बचने के लिए कोई ना कोई बहाना करते हुए कोर्ट आने से बचते हैं ओर मामले को लम्बा खींचते हैं, लेकिन तब भी उन्हें छुटकारा तो नहीं मिल पाता ।
(cheque) चेक बाऊंस होने पर क्या सजा हो सकती है?
आम तौर पर इन मामलों में व्यक्ति को मौका बहूत डियस जाता है,फिर भी यदि व्यक्ति सही समय पर चेक की राशि का भुगतान नही करता तो N.I एक्ट की धारा 138a अनुसार व्यक्ति को 2 साल तक कि सजा का प्रावधान है।
कुछ मामलों में कोर्ट भारी भरकम जूरमाना भी लगा सकती है,यदि केस के दौरान कुछ राशि आप दे चुके हैं तो भी कोर्ट आपको पूर्ण राशी देने जमा करने का आदेश दे सकता है राशि ना देने की सूरत में आपको 2 वर्षों तक की सजा व जूरमाना लगाया जा सकता है।
Section 138 में Cheque Bounce होने पर क्या करें?
यदि आपका (cheque) बाउंस हो जाता है तो इसकी सूचना आपको उस व्यक्ति से मिल ही गई होगी जिसने आपका (cheque) बैंक में लगाया होगा और आपका चेक बेलेंस ना होने के कारण बाऊंस हो गया।
अब ऐसी स्थिति में या तो उन्हें चेक (cheque) की राशि भूकतने का वादा करें और यदी आपके पास राशि नही है तो आप उस व्यक्ति से 30 दिन का समय मांग सकते है , यह आपका कानून अधिकार है।
लेकिन 30 दिन बाद भी अगर आप राशि का भुगतान नही करते हैं तो आपको कोर्ट की कार्यवाही का सामना करना होगा परन्तू कोर्ट भी आपको भुगतान का समय देगा या आप लोक अदालत में अपने केस को चलाने की दरख्वास्त कर सकते हैं। परन्तु राशि तो आपको जमा करनी ही होगी।
अब बात करते हैं उनकी जिन्हें चेक (cheque) दिया गया है किसी ओर के द्वारा ओर वह बैंक में बाउंस हो जाता है ऐसी स्थिति में या तो आप चेक देने वाले व्यक्ति से सीधा बात कर लीजिए और उसे भुगतान करने का 30 दिन का समय दिजिये ओर बैंक से चेक (cheque) बाउंस होने का कारण क्या था इसका मेमो आवश्य लें इससे आपको कोर्ट में भविष्य में कोई प्रॉब्लम नही आएगी । लेकिन मेमो मिलने के 30 दिन के अंदर ही नोटिस भी भेजना पड़ेगा अपने अधिवक्ता द्वारा।
30 दिन के अंदर भी यदि व्यक्ति आपको राशि ना दें तो आप अपने अधिवक्ता से आवश्य मिले और उन्हें इस बारे में बताएं ओर फ़ौरन 30 दिन की समय सीमा के अंदर पर उस व्यक्ति को अपने अधिवक्ता द्वारा नोटिस भेजे ।
लेकिन आप व्यक्ति को नहीं जानते ओर आपको उस पर कोई विश्वास नहीं है,तो ऐसे व्यक्ति को समय ना ही दें,ओर Cheque Bounce होने पर तुरंत बैंक से मेमो लेने के बाद आप next day भी अपने अधिवक्ता द्वारा उस व्यक्ति को नोटिस भिजवा सकते है, ओर ऐसा ही प्रावधान कानून भी है।
इसके बाद यदि वह व्यक्ति 15 दीन में कोई जवाब नही देता है तो इसके लिए कोर्ट में 15 दिन समाप्त होने के बाद 30 दिनों के समय अवधि के अंदर ही 138 केस यानी कंप्लेंट दायर करें ओर इसके बाद कोर्ट की कार्यवाही शूरू होगी जिसमें व्यक्ति के पास बचने का कोई भी रास्ता अब नही रहता।
चेक (cheque) की वैधता अवधि क्या होगी?
वैसे तो किसी भी चेक की अवधि दोस्तों पहले 6 माह की हुआ करती थी परंतु कुछ कारणों की वजह से अब यानी कुछ वर्षों पहले इसे 6 माह से 3 माह कर दिया गया था। ओर इस नियम के अनुसार आपके चेक की वैधता केवल 3 माह की होगी और 3 माह के पश्चात केवल कागज का टूकड़ा मात्र रह जाता है।
इसिलए यदि किसी भी तरह का चेक (cheque) आपके पास हो तो उसे 3 माह के भीतर बैंक में लगा दे वरना इस मामले में कोई भी आपकी मदद नही कर पायेगा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस फैसले को इसलिए बदला था क्योंकि कुछ असमाजिक तत्व इसका फायदा उठाने की कोशिश करते थे।
धारा 138 नेगोशिएबल एक्ट क्या है?
धारा 138 नेगोशिएबल एक्ट केवल चेक बाऊंस की स्थिति के लीये है यदि आपको दीये गए चेक (cheque) को आप बैंक में लगा देते हैं और वह बाउंस हो जाता है और बैंक आपको बताता है कि खाते में राशि ना होने के कारण आपका चेक बाऊंस हो गया है
तो ऐसी स्थिति में आप उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकते है। उस व्यक्ति को अपने एडवोकेट के जीरिये नोटिस देने के बाद आप धारा 138 में कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं। निगोशिएबल एक्ट की धारा 138 आपके बाऊंस हुए चेक की भरपाई करने को उस व्यक्ति के खिलाफ आपको कानूनी कार्यवाही करने का पूरा अधिकार देती है ।
शिकायत कर्ता के पक्ष में नया कानून 2021
चेक बाऊंस के नए कानून 2021 के मुताबिक आपको चेक बाऊंस होने पर घबराने की जरूरत नही होगी क्योंकि जिस व्यक्ति ने आपको चेक दिया है अब उसे भारी भरकम जूरमाना चूकाना होगा और साथ ही यदि मामला कोर्ट में जाता है तो चेक की 20 प्रतिशत राशि उसे कोर्ट में या शिकायत करता को जमा करनी होगी इसके बाद आपका केस चलेगा ।
वैसे राशि कोर्ट में जमा ना करने की सूरत में आपको जूरमाना ओर सजा भी ही सकती है ओर इन सब चीज़ों से यदि आप बचना चाहते है तो कोर्ट में कम से कम 20 प्रतिशत राशि तो जमा करवा ही दीजिये इसके बाद जब केस चले तो आप बीच बीच मे भी बकाया राशि कोर्ट में इंस्टाल के रूप में जमा कर सकते हैं।
सिक्योरिटी में दिए गए चेक बाउंस केस का क्या होगा ?
यदि आपने सिक्योरिटी में किसी को चेक दोया था और उसने आपकी मजबुरी का फायदा उठा कर चेक बैंक में लगा दिया और वह बाऊंस हो गया तो आप दोनों के बिच में कोई भी लेन देन नही होना था ओर आपका चेक महज आपको परेशान करने के लिए या आपके चेक का फायदा उठाने के लिए एसा करते हैं।
तो इसकी सूचना अपने एडवोकेट को दे ओर आप कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर भी इसकी जानकारी दे,लेकिन आपको कैसे बताना है इसके बारे में अधिवक्ता से बात करें। यदि ऐसा पाया गया तो जिस व्यक्ति ने आपके चेक को लगाया है उसे उल्टा कोर्ट द्वारा सजा को भूगतने को तैयार रहना होगा।
चेक बाऊंस केस में समझौता
देखिए इस तरह के मामलों में आपके पास समझौता करने के दो समय है एक तब जब चेक बाऊंस हुआ तो बिना कोर्ट जाए व्यक्ति से बात करते राशि को भुगतने को कह सकते हैं इसके लिए 30 दिन का समय भी कानून द्वारा तय किया गया है,लेकिन इसके बाद एक दिन का भी इन्तजार ना करे ।
दूसरा मोका आपके पास तब होगा जब कोर्ट में मामला चल रहा हॉग इस दौरान यानी केस के दौरान दोनों पार्टी आपस मे मिलकर राशि का भुगतान कर सकते है। और लोक अदालत के जरिये अपने मामले को निपटाने की अर्जी कोर्ट में लगा सकते है।
लोक अदालत समय समय पर कोर्ट द्वारा बैठाई जाति है इसका फायदा यह है कि आपसी सहमति से आप राशि तय कर लोक अदालत के समक्ष भुगत सकतें है।और इसने समय भी कम लगता है और कोर्ट के कानूनी खर्चों से भी आप बच जातें हैं।
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