Section 141 NI act क्या है | Delhi High court judgement 2022 | MAN MOHAN PATHAK V/S CISCO SYSTEMS CAPITAL INDIA PVT.LTD & AND ORS

 Section 141 यानी धारा 141 N I act यानी नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट में दिया गया है , धारा इस बात कि ओर संकेत करती है कि यदि आप किसी को आरोपी बना रहे हो तो जिस व्यक्ति ने cheque issue किया या उसने उस cheque को साइन किया हो उसे तभी आरोपी बना सकते हैं यदि वह व्यक्ति वर्तमान में में उस cheque को या उससे सम्बन्धित सभी तरह के कार्य को या उस cheque से attached अकाउंट नंबर को होल्ड कर रहा हो। ओर उस अकाउंट से रिलेटेड सभी ट्रांजेक्शन को कंट्रोल करता या वह व्यक्ति उस ट्रांजेक्शन को जानता हो ।

 

Kuchnyaa

Company या Organization के behalf पर cheque दिया,Retirement या जॉब छोड़ने के बाद केसे उस cheque की जिम्मेवारी से बच्चे।

यदि आप ऐसे व्यक्ति है जो अब जॉब छोड़ चुके है या उस कंपनी या किसी भी ऑर्गनाइजेशन से रिटायर हो चुके है लेकिन उसके बाद भी आप उस उनकी जिमेवारी से बच नहीं पा रहे हैं, जैसे कि आपने कभी उस पोस्ट पर रहते हुए कोई cheque issue किया हो, लेकिन अब आपको उस बारे में कोई जानकारी नीं है क्योंकी आप या तो रिटायर हो चुके है या उस जॉब को अब छोड़ चुके हो । 

तो हम आपको बताना चाहते है कि इस प्रशन को अभी हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने समझा ओर इसमें एक नया आदेश पारित किया जिसकी वजह से अब आप उस जिम्मेवारी से आजाद हो चुके है, अब कोर्ट ने इस बात को क्लियर कर दिया है कि यदि कोई व्यक्ति केवल cheque issue करता है लेकिन cheque bounce होते समय ओर नोटिस के समय वह व्यक्ति उस जिम्मेवार पोस्ट पर नहीं था तो उक्त व्यक्ति उसका उत्तरदाई नहीं माना जाएगा ना ही ऐसे व्यक्ति को पार्टी बनाया जा सकता है।

क्या है दिल्ली हाई कोर्ट latest judgement

अभी हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले में अपना फेसला सुनाया जिसमे व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक पिटीशन फ़ाइल की थी जिसमे उसने कहा कि निचली अदालत ने एक मुकदमा दायर किया गया है जिसमें मुझे पार्टी बनाया गया है जबकि जिस समय cheque bounce हुआ उस समय मुझे कंपनी की किसी भी ट्रांजेक्शन या किसी भी खाते की कोई जानकारी मुझे नहीं है क्योंकि मे उस समय ओर ना ही वर्तमान में इस company मे कार्यरत हूं , इसलिए मुझे इस केस से बाहर किया जाए ।

दूसरी तरफ कंप्लेंट ने अपने जवाब में कहा कि क्योंकि इन्होंने cheque issue किया व cheque पर साइन किए इसीलिए वह भी इस केस में पार्टी बनेगा व तमाम कार्यवाही मे अपराधी बनाया जाएगा ।

 इन सब पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि क्योंकी जिस समय cheque Bounce हुआ उस समय यह व्यक्ति उस कंपनी में कार्यरत नहीं था , Cheque Bounce होने के बाद जब नोटिस कंपनी को मिला उस समय भी यह व्यक्ति company मे कार्यरत नहीं था ओर रिप्लाइ समय के बाद जब केस दायर हुआ तो उस समय भी यह व्यक्ति कार्यरत नहीं था , इससे यह साफ होता है कि व्यक्ति उस कंपनी के फाइनेंस से aware या जागरूक नहीं होगा ओर वह company के सभी ट्र ट्राजेक्शन के बारे में साथ फाइनेंस के बारे कुछ नहीं बता सकता इसीलिए उपरोक्त व्यक्ति अपराधी बनाए जाने योग्य नहीं है व उन्हें इस केस से अलग किया जाए।

दिल्ली हाई कोर्ट ने यह फैसला MAN MOHAN PATHAK V/S CISCO SYSTEMS CAPITAL INDIA PVT.LTD & AND ORS.


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