Cheque Bounce होने पर क्या करें | केसे डूबता पेसा वापिस पाए
बैंक से मेमो लेना ना भूले।
देखिए अगर आपको दिया cheque bounce हो चुका है तो तुरंत ही उस बेंक से मेमो लेने उस मेमो पर बेंक जानकारी देता है कि आपने जो cheque बेंक मे लगाया वो किस वजह से bounce हुआ , उसमे कोई भी वजह हो सकती है जैसे बैलेंस ना होना,मतलब जिसने आपको cheque दिया उसके खाते मे इतनी राशि ही नही है।
मेमो लेने के बाद तुरंत नोटिस भेज दें।
मेमो लेने के बाद से ही आपका 30 दिन का समय शुरू हो जाता है यानी की जिस दिन आपने मेमो लिया उस दिन से 30 दिन के अंदर आपको उस व्यक्ति को नोटिस भेजना होता है ,लेकिन गणना cheque के bounce होने के दिन से ही होती है,इसलिए मेमो को जान बूझ कर देरी से ना लें वरना आप केस फ़ाइल करने के अधिकार से बाहर रह सकते हैं, नोटिस या तो स्वयं भेज दें या अपने अधिवक्ता द्वारा ही भेजे , अधिवक्ता द्वारा भेजा गया नोटिस के आधार पर भी आप उस व्यक्ति को कोर्ट में कुछ बिंदुओं पर घेर सकते हैं, खुद नोटिस भेजने से अच्छा है आप किसी अधिवक्ता से मिले।
30 के अंदर नोटिस देने के बाद 15 दिन जवाब का इंतज़ार करें।
नोटिस जाने के बाद आप या आपके अधिवक्ता उस पोस्ट को ट्रैक भी करेंगे ओर जब नोटिस पहुंच जाए तो फिर आपको 15 दिन का समय उस व्यक्ति को जवाब देने के लिए देने हैं , जवाब संतुष्ट यदि आपको करता है तो उसे आप 30 का समय दे सकते हैं , ओर यदि कोई जवाब नही आए तो 15 दिन का समय पूरा होने पर आप 30 दिन के अंदर अंदर उस व्यक्ति के खिलाफ वाद तैयार करवा कर कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं ।
कोर्ट में केस चलने पर क्या होगा ओर कितने दिन में न्याय मिल सकता है।
कोर्ट में केस फाइल हो जाए ओर कोर्ट उस केस को स्वीकार कर ले तो फिर कोर्ट उस व्यक्ति को समन भेज कर कोर्ट बुलवाएगी ओर उसे कोर्ट आने के लिए विवश भी कर सकती है। यदि व्यक्ति फिर भी ना आए तो कोर्ट उसे वारंट भेज सकती है , जिसके बाद पुलिस उसे खुद कोर्ट लाएगी।
इस तरह मामले कोर्ट में कभी कभार 7 से 10 माह भी चल जाते हैं ओर यदि व्यक्ति जल्दी अपनी गलती मान ले तो ये मामले 2 या 3,4 माह में भी सुल्ट जाते हैं, कभी कभार व्यक्ति को अदालत किस्तों में भी पैसे चुकाने को बोल सकती है ऐसा उस व्यक्ति की स्थिति देख कर होता है , यदि ऐसा होता है तो ये राशि पर निर्भर है कि राशि कितनी है ओर वह कितनी किश्तों मे पैसा देता है।
आप कोर्ट में दिए अपने वाद मे उस व्यक्ति से वकील का खर्चा राशि ओर उस cheque की राशि पर ब्याज भी मांग सकते हैं, ये आपका अधिकार है लेकिन वाद ख़तम होने पर नही ये आपको आरम्भ मे जब वाद डाल रहे है। उसी समय कोर्ट में बताना होगा।
कभी कबार् कोर्ट जाने की आवश्कता नहीं होती, केवल नोटिस देने से ही कई बार काम चल जाता है ओर बहुत कम खर्चे में आपका केस ख़तम।
यदी आरोपी अपनी गलती नहीं मानता लेकिन कोर्ट उसकी गलती पकड़ ले।
कोर्ट हमेशा आरोपी को पेसे भुगतने का पूरा समय देता है, लेकिन यदि कोई अपनी ना माने ओर कोर्ट ट्रॉयल में ये प्रूव हो जाए कि कोर्ट में लगाया गया केस सही है तो उस व्यक्ति को Negotiable Act की धारा 138a के तहत सजा ओर जुर्माना भी हो सकता है सजा अधिकतर 2 साल तक कि हो सकती है ओर जुर्माना चेक की राशि का डबल भी हो सकता है। जिसमे की आधी राशि वादी को ओर आधी राशि का आधा हिसा कोर्ट सरकार को भेज देती है ओर शेष राशि मुवावजे के तोर पर वादी को ओर मिलती है।
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