(IAS) Deputy Commissioner and Judge Powers in Hindi

 Deputy Commissioner

Deputy Commissioner,I.A.S (Indian Administrative Services) 

बात यदि डिप्टी कमिश्नर यानी कलेक्टर कि जाए तो ये हर उस भारतीय का सपना होता है जो भारतीय क्रिकेट टीम से भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था तक हर जगह अपनी रूचि रखता हो। भारत देश मे किसी भी District में यदि कोई सबसे बड़ा जिला अधिकारी होता है तो वो सिर्फ कलेक्टर या डिप्टी कमिशनर होता है। 

वह हर तरह के मामलों में जिनका तालुक Law And Order से हो उनमे सीधे कोई भी आदेश देने के लिए अधिकृत होता है जिससे कि शांति हमेशा बनी रहे।
सरकार द्वारा किसी भी पोलिसी को जनता द्वार फहूचाने के लिए भी Deputy Commissioner ही जिम्मेवार होता है,सरकार द्वारा जारी आदेशो ओर कानूनो को Execute करना भी इन्ही अधिकारी का काम होता है।

Appointment Of Deputy Commissioner/ कलेक्टर की नियुक्ति 

भारत मे कलेक्टर की नियुक्ति IAS EXAM से होती है,जो कि All India level की परीक्षा होती है। जिसमे पहले Objective Question,Mains and Interview इन तीन चरणों को पार करने के बाद कोई भी इस  पद के योग्य हो जाता है, IAS को ही  डिप्टी कमिशनर, कलेक्टर ओर  डिसट्रिकट  मजिस्ट्रेट भी कहा जाता है। अलग अलग तरह की Power Function करते समय इन्हें अलग अलग name status से जाना जाता है ।

 Hierarchy Of Executive Power/एक्जीक्यूटिव शक्तियों की हरारकी

भारत में किसी भी जगह या किसी भी State (राज्य) में शहरों कस्बो का विभाजन मण्डल तहसील ओर डिस्ट्रिक्ट लेवल में होता है और इन सभी मे कोई ना कोई अधिकारी जो कि Rules Regulation,Govt Policy के लिए जनता और सरकार के बीच पुल की तरह या केबल लाइन की तरह काम करता है। ये अधिकारी कुछ इस प्रकार से होते हैं।


Naib Tehsil daar (नायब तहसीलदार) ये अधिकारी सीधा गांवो कस्बो के लिए सरकार से सीधा तार जनता से बांधने का काम करता है और आपने इलाके के Rule regulation की व्यवस्था के साथ साथ रेवीनियु कलेक्शन भी होता है इन्हें रेविनियु अधिकारी भी कहा जाता है सरकार की पोलिसी को भी लोकल लेवल पर यही अधिकारी पहुँचाते है,बात अगर इनकी appointment की हो तो इनकी Selection state level Exam Allied से होती है । ये बाद में प्रमोट होकर Tehsildaar (तहसीलदार) के लिए  अधीकृत होते हैं।


Tehsildaar(तहसीलदार) गांवो कस्बो ओर एक शहर को मिलाकर जो एरिया मनोनीत होता है उस एरिया का लेखा जोखा,रेविनियु ओर अन्य मामलों के लिए एक दफ्तर होता है उसे तहसील कहते है और इस दफ्तर के सबसे सीनियर अधिकारी को तहसीलदार कहा जाता है वैसे तहसील के पीछे जनसंख्या का भी जरुरी बिंदु होता है। तहसीलदार की जवाबदेही सरकार के साथ साथ Sub Devisional Magistrate (S.D.M) को भी होती है।

Sub Devisional Magistrate (S.D.M) जो कि State Administrative Services के द्वारा चुने जाते हैं। नायब तहसीलदार ओर तहसीलदार ये सभी SDM के जूनियर या असिस्टेंट कहलाते हैं। और SDM की जवाबदेही सरकार के साथ साथ सीधे Assistant District Commissioner या कलेक्टर को होती है।

इसके बाद सीधे बात आती है Deputy Commissioner जो कि सभी नायब तहसीलदार, तहसीलदार ओर SDM में सबसे शीर्ष या Senior अधिकारी होता है। Deputy Commissioner की जवाबदेही स्टेट गवरमेंट के साथ सेंटर गोवरमेंट को भी होती है। ऊपर दिखाये गए सभी अधिकारियों को रेविनियु अधिकारी भी कहा जाता है। 



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जज/Judge/Judicial Magistrate

बात अगर जज की हो या ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की भी जनसख्या के हिसाब से अलग अलग एरिये में Appoint होते हैं हालांकि भारत मे इनकी appointment इतनी नही हो पाती जितनी की एग्जीक्यूटिव अधिकारी नियुक्त किये जाते हैं इसके लिए सरकार बजट की कमी को भी एक वजह मानती है जबकि भारत देश मे बहूत ज्यादा जनसख्या पर एक जज नियुक्त हो पाता है। शूरूआत करते हैं----

Civil Judge,Judicial Magistrate 1st Class (Junior Division)

ज्यूडिशरी में सबोर्डिनेट अधिकारी में सबसे पहले यही आते हैं। इनकी शक्तियों की बात करे तो इन्हें आपराधिक मामलों में 2 साल तक कि सजा ओर दीवानी (Civil) मामलों को सुनने की पूरी शक्तियां मौजूद होती है। इनका काम मामलों को,चाहे वो क्रिमिनल हो या सिविल इनको निपटाने का होता है किसी भी ज्यूडिशरी के अधिकारी का सरकार के साथ कोई भी जवाबदेही नही होती है। ये अधिकारी State Judicial Exam से चूने जाते हैं।

 Objactive,Mains,Or Interview के बाद ये जुडिशयल मैजिस्ट्रेट चुने जाते हैं। लेकिन केवल डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज तक के जज या मजिस्ट्रेट ही स्टेट जुडिशयल एग्जाम से चुने जा सकते हैं। इसके बाद माननीय High Court ओर Supreme Court के जस्टिस सीधा एक्सपीरिएंस के आधार पर ही चुने जाते हैं। इन मे से किसी भी जुडिशयल जज या जूडिशयल मजिस्ट्रेट की कोई भी जवाबदेहि सिवाए अपने सीनियर जज के सरकार को नही होती।

Civil Judge/Judicial Magistrate First Class (Senior Judge)

सीनियर जज जो कि जूनियर डिवीज़न के बाद होता है। उन्हें आपराधिक मामले में 3 वर्ष तक कि सजा देने का अधिकार होता है और Civil (दीवानी) मामलों को भी सूनने का पूरा अधिकार होता है। 

Chief Judicial Magistrate (C.J.M)

CJM अपनी डिस्ट्रिक्ट में सभी सिविल जज सीनियर ओर जूनियर डिवीजन में सबसे ऊपर होता है और ये सभी जजो कि  जवाबदेही CJM को ही होती है। 
CJM को किसी भी मामले को सुनने की पूरी शक्ति प्राप्त है और आपराधिक मामलों में 7 साल तक कि सजा देने का पूरा अधिकार होता है। 

Additional District Judge (A.D.J)

CJM के बाद या इनसे सीनियर जज ADJ को ही माना जाता है। ADJ को किसी भी मामले को सुनने की पूरी शक्ति प्राप्त है। और उम्रकैद तक कि सजा करने का भी अधिकार प्राप्त है और किसी भी लेवल के सिविल मामले को सुनने की शक्ति या प्राप्त है।

DISTRICT AND SESSION'S JUDGE

सूबोर्डिनेट कोर्ट में सबसे ऊपर के जज District and Sessions को माना जाता है। लेकिन इनकी appointment या तो सीनियोरोटी बेस पर होती है या इनके लिए Higher Judiciary का अलग से एग्ज़ाम लिया जाता है। लेकिन एग्जाम देने वाले व्यक्ति के पास 7 साल तक का अधिवक्ता (Advocate) का एक्सपीरिएंस होना जरूरी होता है।


DISTRICT AND SESSION'S JUDGE को किसी भी मामले को सूनने की पूरी शक्ति प्राप्त है। सिविल मामलों के साथ साथ 20 से 50 लाख तक के क्लेम केस को सुनने और आपराधिक मामले में फांसी तक कि सजा देने की पूरी शक्ति प्राप्त है लेकिन इनकी High Court को पूरी तरह से जवाबदेही होती है।


इसके बाद हायर जूडिशरी आती है जेसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, HIGH COURT किसी भी राज्य में केवल एक ही होता है और उस राज्य में सबसे बड़ा कोर्ट होता है। और इसके बाद पूरे देश का सबसे बड़ा कोर्ट SUPREME COURT होता है। हायर जूडिशरी पर हम कभी दुबारा आर्टिकल लाएंगे आज के लिए फिलहाल इतना ही ।

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