Maintenance New Case in 2023 In Hindi

भारत देश में आज के समय में शादियां का टूटना अब आम बात होने लगी है, इसी के साथ न्यायलय में Divorce यानी तलाक के केस भी बड़ने लगे हैं इसके साथ ही wife अदालत में अपने बच्चो का भरण पोषण का भी केस फाइल कर देती है जो कई बार व्यक्ति के लिए मुश्किल खड़ी कर देता है। क्या इसके लिए कोई एक गिडनाइल नही होनी चाहिए यही प्रश्न सुप्रीम कोर्ट के सामने भी आ चुका हे और रोज रोज सभी फैमिली डिस्प्यूट न्यायलय के सामने भी आता हे, इसी से संबंधित एक केस हे जिसके फैक्ट्स कुछ इस प्रकार है।


Supreme Court
Picture Source:- Live Law 


//Adity Mithi V/s Jitesh Sharma 2023 Supreme Court.//

इन दोनो की शादी 2008 में होती हे, दोनो का विवाहित जीवन कुछ खास नहीं चल रहा था दोनो के 2 बच्चे भी हे इसके बाद Husband ने न्यायलय में divorce Case फाइल किया जिसके जवाब में वाइफ ने भी मैं Maintenance का केस पति पर डाल दिया और फैमिली कोर्ट ने Rajnish V/s Neha 2021 सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन को फॉलो करते हुए पति को आदेश दिया की वह पत्नी को 20 हजार हर महीने बच्ची के भरण पोषण को दे क्योंकि पत्नी ने बच्ची को अपने पास रखने का निर्णय किया था और पति ने पुत्र को अपने पास रखने का निर्णय किया था।


इसके बाद पति को यह 20 हजार प्रति महीना देना सही नही लगा उसने 20000 देने में असहमति दिखाई और फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जहा हाई कोर्ट ने पति को फेवर करते हुए मेंटेनेंस को 20000 से 7500 कर दिया जिसे पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी, 



सुप्रीम कोर्ट ने महिला की पिटीशन को देखा और फैसला किया की देश की सभी अदालतों को सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले में दी गई गाइडलाइन को फॉलो करना चाहिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा की हमने पहले अपने पुराने केस Rajnish V/s Neha 2021 में पूरा प्रोसीजर अदालतों को दिया हे क्योंकि इस केस में हाई कोर्ट ने इस केस की गाइडलाइन को फॉलो नही किया और फैमिली कोर्ट ने बखूबी इस केस की गाइडलाइन को समझ कर ही महिला को 20000 महीना का मेंटेनेंस दिया जो की बिलकुल सही हे सर्वोच्च न्यायालय ने महिला को राहत देते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और हाई कोर्ट के फैसले को गलत करार किया। ओर आदेश दिया की जब भी कोई कोर्ट मेंटेनेंस को सेट करें तो Rajnish V/s Neha 2021 की ही गाइडलाइन को फॉलो करे, जो भी अदालत इस केस में दी गई गाइडलाइन फॉलो नही करेगी वह फेसला हमेशा चुनौती योग्य रहेगा।


क्या गाइडलाइन थी रजनीश v/s नेहा केस में

इस केस में अदालत यह ऑब्जर्व किया की सभी लोग या हसबैंड वाइफ में से कोई भी जब मेंटेनेंस की इच्छा से केस दायर करता हे तो अदालत को गलत जानकारी दूसरे पक्ष के इनकम की देता हे, ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा राशि मेंटेनेंस में मिले जो की पूरी तरह गलत हे,



इस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने देश की सभी अदालतों के लिए गाइडलाइन जारी की , जब भी किसी केस में मेंटेनेंस दिया जाए तो पहले इनकम प्रूफ के लिए ऐफिडेविट लिया जाए , जेसे यदि पत्नी हसबैंड से मेंटेनेंस मांग रही हे तो या तो वो अपने पति का इनकम का प्रूफ ऐफिडेविट पर दे या पति खुद अपनी इनकम प्रूफ ऐफिडेविट पर दें, इसमें अदालत ने एक और बिंदु पर प्रकाश डाला हे।



यदि कोई पक्ष इनकम प्रूफ का ऐफिडेविट देता हे तो दूसरे पक्ष को उसका जवाब देने का मोका दिया जाए परन्तु उसमे एडजोर्नमेंट केवल दो ही बार दूसरे पक्ष को मिले उसके बाद उसे जवाब देना ही होगा या ऐफिडेविट को सही माना जाए। 



यदि कोई व्यक्ति इनकम प्रूफ ऐफिडेविट पर गलत जानकारी देता हे तो न्यायलय व्यक्ति पर सेक्शन 177 IPC  344 crpc में कार्यवाही कर सकता है, इसी गाइडलाइन में ये भी बताया गया है की मेंटेनेंस चाहे 125 crpc में लिया गया हो हिंदू मैरिज एक्ट सेक्शन 24 में लिया गया हो या पोषण act सेक्शन 18 में लिया गया हो इन सभी तरह के मामलों में इसी केस की गाइडलाइन फॉलो की जायेगी।



तो आप भी ध्यान रखे आप मेंटेनेंस ले रहे हों या दे रहे हों क्या न्यायलय ने इस केस की गाइडलाइन को फॉलो किया है यदि नही तो आप फैसले को हायर कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, ध्यान दें की अगर मेंटेनेंस आप माता पिता को दे रहे हैं या ले रहे हैं चाहे भाई भाई को दे रहे हे इन सभी तरह के मामलों इस केस की गाइडलाइन ही लागू होगी।


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