क्या Practicing as an Advocate ओर Advocate में कोई अंतर है

 Advocate यानी हिंदी मे कहें तो अधिवक्ता, समाज का वो हिसा है जो हमेशा न्याय के लिए संघर्ष शील रहता है,न्याय के लिए इनके मन मे एक अलग ही जगह होती है,समाज मे बहुत बार इन्हें दबाने ओर कुचलने की कोशिश की जाती रही है मगर इनका हौसला कभी कम नही हुआ,समाज मे केवल अधिवक्ता ही है जो सविंधान का असली रक्षक कहलाने योग्य है।


लेकिन ये भी सत्य है कि कुछ अधिवक्ता की वजह से छवि धूमिल भी हुई है मगर अच्छे बुरे लोग हर जगह मोजूद हैं फिर चाहे वो पुलिस आफिसर,नेता,डॉक्टर, इंजीनियरिंग या कोई बड़े सरकारी पद पर बैठा कोई व्यक्ति हो,जब जनता द्वारा चुने जाने वाले नेता ही जनता का विरोध सून लेते हैं तो दूसरों की बात तो आम होगी, बरहाल हम अपने मुद्दे की ओर चलते है।


Practice कर रहा हु इसका मतलब?

जब भी कोई अधिवक्ता आपको कहे कि वह इस कोर्ट में प्रक्टिस कर रहा है या हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों में करता हैं,तो दोस्तो कुछ लोग प्रेक्टिस शब्द का गलत ही मतलब ले लेते हैं वे इसे ठीक वैसे ही समझते हैं जैसे वे आम बोल चाल में बोलते होंगे । लेकिन दोस्तो काम की बात ये है कि इसका ये कतई मतलब ना निकाले की वह सिख रहा है या अभी उसे केस लड़ना नही आता वो केस फाइल नही कर सकता ।


बल्कि इसका मतकब होता है कि वो इस फील्ड में कन्टीन्यूटी से काम कर रहा है । आइये आपको दूसरे शब्दों में समझाएं देखिए यदि कोई डॉक्टर ऑपरेशन कर रहा है और ऑपरेशन करते समय वो कोई ऐसा एक्ट या ऐसी गलती कर बैठता है जो कि गलती नही है बल्कि रिस्क है जिसके बारे में डॉक्टर और हॉस्पिटल स्टाफ आपको पहले ही अवगत करवा देता है। 

ऐसी स्थिति कानून या न्यायपालिका कोई भी सजा ऐसे डॉक्टर को नही देती क्योंकि इसमें साफ तौर पर माननीय सुप्रिम कोर्ट ने कहा है कि डॉक्टर भी प्रेक्टिस कर रहे हैं,और वे जिसका इलाज करते या ऑपरेशन करे वो उनके ज्ञान और उनको सिखाया गया ट्रेनिंग का पार्ट होना चाहिए फिर भी कोई मृत हो जाये तो ये रिस्क है जिसके लिए डॉक्टर जिम्मेवार नही है क्योंकि वो उनको सिखाये गए ज्ञान और ट्रेनिग के अनुसार प्रक्टिस कर रहें है और ये प्रक्टिस सभी के लिए सही हो ऐसा जरूरी तो नही। 

ठीक ऐसे ही अधिवक्ता अपने काम मे प्रेक्टिस कर रहें है। लेकिन प्रेक्टिस शब्द का ये कतई मतलब नही की वह आपका केस फाइट नही कर सकता । वह आपके लिए केस भी फाइट कर सकता है, लेकिन केस हारने पर कोई अधिवक्ता इसकी जिम्मेवारी भी नही लेगा क्योंकि सेम डॉक्टर का केस यहां भी अप्लाई होता है। इसमें भी रिस्क हो सकता है। ओर अधिवक्ता केवल अपने ज्ञान और दी गई ट्रेनिगं में प्रेक्टिस करता है लेकिन गलत ओर सही की इस लडाई में अंतिम आदेश तो अदालत को ही देना होता है। इसके लिए अधिवक्ता कोई जिम्मेवार नही ठहराया जा सकता आपके पास अपील का अधिकार है।

औथोराइज्ड अधिवक्ता (Authorised Advocate)

किसी भी अधिवक्ता को अधिवक्ता बनने से पहले 10+2 Class  के बाद पांच वर्ष की कानूनी की पढ़ाई करनी होती है जिसमे वह सरकार और बार काऊंसिल द्वारा मान्य प्राप्त संस्थान से ही अपनी कानूनी शिक्षा करता है।और इसके पश्चात वह बार काऊंसिल ऑफ इंडिया को अपने सभी दस्तावेज ओर कानूनी डिग्री देता है। कानूनी डिग्री बार काऊंसिल को देने के बाद भी उसे सम्पूर्ण अधिकार नही मिलते वह केवल एक ही शहर या स्टेट में केस फाइट कर सकता है और वह भी कुछ निश्चित अवधि के लिए।


लेकिन यदि उसे मुकदमे लड़ने का पूर्ण अधिकार चाहिए तो इसके लिए उसे बार काऊंसिल ऑफ इंडिया द्वारा टेस्ट क्वालीफाई करने होगें और टेस्ट में पास होने के बाद ही वह हमेशा के लिए पूर्ण अधिकारों के साथ भारत के किसी भी न्यायालय में केस फाइल कर सकने का अधिकारी होगा,और वह भारत के हर न्यायालय चाहे वह जुडिशयल हो या एक्जीक्यूटिव हो वहां वह लॉ ऑफीसर होगा। 


आप जिस अधिवक्ता को भी अपने केस की पैरवी करने के लिए कहेंगे उसके पास बार काऊंसिल ऑफ इंडिया द्वरा दिया गया अधिवक्ता प्रमाण पत्र और बार काऊंसिल ऑफ इंडिया का प्रेक्टिस लाइसेंस होगा। 


कैसे करें सही अधिवक्ता की पहचान।

वैसे तो ऊपर हमने सभी दस्तावेज जो कि अधिवक्ता के पास होने चाहिए वह बता दिए है,लेकिन फिर भी इस सब के बावजूद भी आपको सही अधिवक्ता की पहचान दूसरे तरीकों से करनी है । तो इसके बारे हम आपको बताएंगे कि सही अधिवक्ता वही है जिसमे काफी पेशेंस हो और आपको जो भी जानकारी दे वो आपको सही और तूली हुई लगे। 

दूसरी बात अधिवक्ता को पहचानने के लिए आप उसकी ड्रेस की ओर अपनी नजर जरूर दौड़ाएं यदि वह सही है तो मतलब आप सही जगह है यदि गाऊन या कोट की हालत अच्छी नही है तो समझ जाइये की आप गलत जगह मौजूद हैं, एक अधिवक्ता के लिए उसके दिल मे उसके कोट गाऊन या ड्रेस ओर अदालतों के लिए बहूत सम्मान होता है। 

यदि आप किसी भी अधिवक्ता के साथ किसी भी जगह चाहें उसका ऑफिस हो या कोई और मीटिंग प्लेस आप किसी केस की चर्चा उनसे करने आये हैं तो वह सिवाए कानूनी पहलुओं ओर केस के अतिरिक्त और कोई बात आपसे नही करेगा। यदि वह आपका कोई जानकार व्यक्ति भी है तब बात अलग हो सकती है। 

आपको हमारा आज का आर्टिकल केसा लगा कॉमेंट बॉक्स में बताए आप किसी ओर जानकारी के लिए भी हमे कमेंट कर सकते हो। 

Powered by Blogger.