Lutru Mahadev Himachal Pradesh (लुटरु महादेव) Full Story In Hindi
लुटरू महादेव
Picture by Kuchnyaa.inहिमाचल प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जिसका इतिहास हमेशा से हैरान कर देने वाला रहा है, हिमाचल को देवी देवताओं की भूमि भी माना जाता है ।
हिमाचल में अनेकों प्रकार के मंदिर है जिनकी महिमा का वर्णन करने में हम सामर्थ नही है। लेकिन यूँ समझ ले की जितनी व्याख्या करेंगे उतना ही कम होगा ।
फिलहाल आज के हिमाचल फैक्ट्स ब्लॉग में हम लुटरू महादेव की ही बात करेंगे ।
लुटरू माहादेव हिमाचल के जिला सोलन तहसील अर्की में स्थित है, अर्की शहर से गुजरने के बाद एक रास्ता जो कि वाहन योग्य रोड है सीधा लुटरू माहादेव की पवित्र गुफा की ओर जाता है।
लुटरू माहादेव पवित्र गुफा
हो सकता है कि आप आने वाली शिवरात्रि को किसी शिवालय या शिव मंदिर जाने वाले हो, या यदि आप हिमाचल घूमने आए हैं और यहाँ की चमत्कारी,सुन्दर ओर रोचक कहानी से भरी जगह घूमना चाहते है तो आपको हिमाचल की तमाम चमत्कारी जगहों में से एक लुटरू माहादेव जरूर आना चाहिए।
लुटरू महादेव पवित्र गुफा ओर अर्की का रहस्य
अर्की लुटरू महादेव मन्दिर का निर्माण बागल रियासत के राजा ने 1621 में किया था । परंतु माना जाता है कि पुराणिक समय मे यानी सतयुग में ऋषि अगस्त्य यहां तपस्या किया करते थे। इसीलिए ये गुफ़ा ओर शिवलिंग दोनों ही रहस्यमई है, इनका किसी ने भी कोई निर्माण नहीं क्या है, ये सतयुग से ही इस धार पर अनेक ऋषि मुनियों का निवास स्थान रहा है।
ऋषि आग्स्त्या ने अपने तप से यहां महादेव का आह्वाहन किया था, या यूं कहलें की उन्होंने अपने तप से शिवलिंग का निर्माण किया। माना जाता है कि शिवलिंग में बहूत से चमत्कार हुआ करते थे। ओर आज भी साक्षात आप उन चमत्कारों को देख सकते हैं।
लुटरू माहादेव के साथ ही एक ओर मन्दिर शकनि मन्दिर भी विद्यमान है इन दोनों की रहस्मयी कहानी है ।
बात करते हैं अर्की शहर की तो आपको बता दे कि अर्की शहर का नाम भी ऋषि अगस्त्य के नाम पर ही रखा गया है।
लुटरू माहादेव की पवित्र गुफा 61 फिट लम्बी है और इसकी चौड़ाई लगभह 31 फिट के आसपास है गुफा के ठीक ऊपर गोलाकार में खाली जगह है जहां से सूर्य की किरणें आती हैं और शिवलिंग पर ही सबसे पहले पड़ती हैं। लेकिन कमाल की बात यह है कि बारिश की एक भी बूंद इस गूलाकार खाली जगह से नही आती।
पवित्र गुफा में शिव की लटाये बनी है, जिन्हें आप देख भी सकते है जो कि गुफा में चारो तरफ ओर दाएं बाएं पथर में बनी है। इन लटाओ से एक समय मे दूध बहा करता था,जो कि समय के बदलाव के साथ साथ अपने आप बन्द हो गया हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि ये शिवलिंग किसी गड़रिये के कारण दुबारा अस्तित्व में आई थी । क्योंकि गुफा कुछ समय काल से आम जन मानस के ज्ञान में नही थी।
लेकिन आज भी गुफा में बनी शिव की लटाओं से पानी बहता जरूर देखा जा सकता है। जिसे शिव गंगा भी कहा जाता है, क्योंकि शिव भगवान यहां ऋषि आगस्त्या के निवेदन पर अपने पूर्ण स्वरूप मे विराजमान हुए थे जिसके कारण यहां शिव की लटयाएं ओर उनसे बेहती मां गंगा गुफा में देखी जा सकती है,
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मकर सक्रांति का तथ्य ओर शिवलिंग रहस्य
लुटरू महादेव की पवित्र गुफा से हर साल मकर संक्राती को ओम की ध्वनि सुनाई देती है। जिसे सुनने के लिए दूर दूर से लोग यहां आते हैं।
लोगो का कहना है कि यहां हमेशा भोलेनाथ के लिए शिवलिंग के पास जलती हुई शिगार रखी जाती है और भांग भी रखी जाती है ऐसा यहां रोज भोलेनाथ को खुश रखने के किया जाता है ।
पवित्र गुफा का रहस्य भगवान परशुराम ओर भागीरथ से भी जूड़ा है माना जाता है कि जब भागीरथ जी की तपस्या से प्रसन होकर मां गंगा धरती पर शिव की जटाओं से होकर आने लगे तो उस पवित्र अमृत के छींटे ईस धार पर जा गिरे जिसके कारणLutruMahadev के साथ ही शकनी मन्दिर में जल की धारा फूट गई जहां से आज भी पूरे अर्की शहर की प्यास भुजाई जा रही है।
Lutru Mahadev का नाम भगवान रुद्र यानी शिव के ही अवतार से जूड़ा है। जिसका रुद्रा से रुद्र्रा ओर लूतरा से लुटरू भाषा मे परिवर्तन से हुआ। गुफा एक ऊंची पहाड़ी पर जरूर बनी है लेकिन यहां तक पहूँचने का रास्ता पर्यटन विभाग के कारण आज के समय मे काफी आसान हो चुका है।
पवित्र गुफा तक आप पैदल यात्रा भी कर सकते हैं ओर यदि चाहें तो वाहन भी ले जा सकते है। लेकिन शिवरात्रि या किसी ओर पर्व पर वाहन के पवित्र गुफा तक पहूँचने में थोड़ी अड़चन हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस दौरान लोगो की काफी भीड़ इस मार्ग पर रहती है।
आप भी पवित्र गुफा लुटरू महादेव जरूर जाएँ यहां आपको हिमाचल के देव भूमि होने का प्रमाण नही ढूंढना होगा आपको स्वतः ही महसूस होगा ऋषि अगस्त्य के तप की शक्ति,भागीरथ का तप और भोलेनाथ का डमरू आपको इस पवर्त पर आज भी महसूस होगा ।
हर हर महादेव
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