भारत में संविधान का रक्षक Judicial system यानी न्यायीक प्रणाली को माना जाता है, ओर यदि जरूरत पड़े तो संविधान की व्याख्या करने का अधिकार ओर कर्तव्य भी भारत के सर्वोच्च न्यायालय ओर सभी उच्च न्यायलयों के पास है, भारत देश में हर राज्य के पास एक उच्च न्यायालय है जो कि कुल 25 हैं ।
भारत मे कुल 25 उच्च न्यायालय है जिस में कुछ न्यायलय के पास 2 राज्य की भी जिम्मेवारी है ओर कुछ के पास राज्य के साथ साथ केंद्र शासित प्रदेशों की भी जिम्मेवारी है, इसमें कोलकाता उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ न्यायलय, दिल्ली उच्च न्यायालय ओर जम्मु कश्मीर उच्च न्यायलय कुछ उदाहरण हैं इनके पास रज्यों के साथ साथ केन्द्र शासित प्रदेशों की भी जिम्मेवारी है।
आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से भारत के उच्च न्याालयों (High Court) से जुड़े कुछ प्रशन के जवाब देने की कोशिश करेंगे , भारत के सभी उच्च न्यायलयों का भी अपना इतिहास है , वैसे तो भारत में न्यायिक प्रणाली में सुप्रीम कोर्ट यानी सर्वोच्च न्यायालय ही सबसे उपर माना गया है, लेकिन उच्च न्यायलय यानि हाई कोर्ट राज्य का सबसे बड़ा कोर्ट माना जाता इसके बाद केवल सुप्रीम कोर्ट है।
- 1.भारत में कुल कितने High Court हैं?
- 2.भारत का First High Court कौन सा है?
- 3.भारत में सबसे शक्तिशाली उच्च न्यायालय कौन सा है?
- 4.भारत में उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश कौन है?
- 5.भारत में पहला दरबार किसने बनाया।
- 6.भारत का सबसे पुराना कोर्ट केस कौन सा है?
- 7.भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124 क्या है?
भारत में कुल कितने हाई कोर्ट हैं?
जैसा कि हमने आपको बताया है कि भारत के हर प्रांत में अपना एक सबसे बड़ा कोर्ट है ताकी यादी किसी को न्याय में संतुष्टि ना हो तो वो अपनी स्टेट यानी राज्य के उच्च न्यायालय का रुख कर सके,भारत में सभी राज्यों में उच्च न्यायालय हैं जिनके पास legal rights (लीगल राइट्स) के वायलेट होने पर कार्यवाही करने का अधिकार है जिसके बारे में आप सविंधान के आर्टिकल 226 मे भी पड़ सकते है, भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं इन मे से कुछ हाई कोर्ट एक से अधिक राज्यों ओर केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भी हैं, हम सभी का विवरण आपको दे रहें हैं।
- इल्हाबाद हाई कोर्ट - उत्तर प्रदेश -1866.
- कोलकाता हाई कोर्ट - वेस्ट बंगाल, अंडमान निकोबार व निकोबार द्वीप-1862.
- मुंबई हाई कोर्ट- महाराष्ट्र, दादर,ओर नगर हवेली,गोवा, दमन दिऊ-1862.
- चेन्नई हाई कोर्ट- तमिनाडु ओर पांडिचेरी-1862.
- कर्नाटका हाईकोर्ट-कर्नाटका (बेंगलुरु) बेंच धारवाड़-1884.
- पटना हाई कोर्ट- बिहार-1916.
- पंजाब ओर हरियाणा हाई कोर्ट- पंजाब हरियाणा, चंडीगढ़-1947.
- गुहाटी हाई कोर्ट- असम, नागालैंड, मिजोरम ओर अरुणाचल प्रदेश- 1948.
- उड़ीसा हाई कोर्ट- उड़ीसा - 1948.
- राजस्थान हाई कोर्ट- राजस्थान - 1949.
- मध्प्रदेश हाई कोर्ट- मध्यप्रदेश- 1956.
- केरला हाई कोर्ट- केरला व लक्ष्य द्वीप- 1958.
- गुजरात हाई कोर्ट- गुजरात (अहमदाबाद)- 1960.
- दिल्ली हाई कोर्ट- दिल्ली- 1966.
- हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट- शिमला - 1966.
- जम्मु कश्मीर ओर लेह लद्दाख- 1928.
- सिक्किम हाई कोर्ट- गंगटोक - 1975.
- छतिसगड़ हाई कोर्ट- बिलासपुर - 2000.
- उत्तराखंड हाई कोर्ट- नेनिताल - 2000.
- झारखंड हाई कोर्ट- रांची- 2000.
- त्रिपुरा हाई कोर्ट- अगरतला- 2013.
- मणिपुर हाई कोर्ट - इम्फाल - 2013.
- मेघालय हाई कोर्ट- शिलांग - 2013.
- आंध्रा प्रदेश हाई कोर्ट- अमरावती- 2019.
- तेलंगाना हाई कोर्ट- हैदराबाद- 2019
भारत का प्रथम उच्च न्यायलय कोन सा है?
भारत में सबसे पहला उच्च न्यायालय कोलकाता हाई कोर्ट को माना जाता है, भारत का पहला High Court कोलकाता में ही स्थापित किया गया था, इसे पहले फोर्ट विलियम न्यायिक उच्च न्यायलय कहा जाता था।
यह भारतीय उच्च न्यायलय अधिनियम 1861 के तहत स्थापित किया गया था,1 जुलाई 1862 को आरम्भ किया गया था, सर बानरस पीकाक कलकत्ता उच्च न्यायलय के पहले मुख्य न्यायधीश के रूप में पद ग्रहण किया, न्यायमूर्ति सुंबू नाथ पंडित कलकत्ता उच्च न्यायलय के प्रथम भारतीय न्यायधीश बने ।
भारत में सबसे शक्तशाली उच्च न्यायलय कोन सा है?
वैसे तो भारत में सबसे ज्यादा शक्तिशाली ओर सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट है, लेकिन भारत के हर राज्य का भी अपना एक हाई कोर्ट होता है जो कि उस राज्य का सबसे ज्यादा शक्तिशाली कोर्ट होता है, इसीलिए आज हम भारत के सभी 25 हाई कोर्ट में से सबसे बड़े हाई कोर्ट की बात करेंगे , सभी हाई कोर्ट की शक्तियां एक सम्मान होती है लेकिन हम टेरिटरी या jurisdiction के लिहाज से बात करेंगे ।
इलाहबाद हाईकोर्ट को विशव का सबसे बड़े हाई कोर्ट का दर्जा मिला हुआ है, यह दुनिया का अकेला ऐसा हाई कोर्ट है जहां सबसे ज्यादा तादात मे केस देखे जाते है, ओर इसमें न्याय करने वाले न्यायधीशों की संख्या भी सबसे अधिक है, भारत के पड़ोसी राज्य के साथ साथ ओर तमाम देशों में भी इतना बड़ा हाई कोर्ट फिलहाल नहीं है।
इलाहबाद हाईकोर्ट में न्यायधीशों की संख्या 160 तक कर दी गई है,ओर इसमें एक साथ 80 अदालतों के काम करने की क्षमता है ,इसमें कुछ समय पहले डिवीजन बेंच सिविल के 11, डिवीजन बेंच क्रिमिनल के 9 ओर सिंगल बेंच सिविल के 18 ओर सिंगल बेंच क्रिमिनल के 21 थे।
भारत में उच्च न्यायलय की पहली महिला न्यायधीश कोन है?
भारत में किसी High Court का न्यायधीश बनना सबसे मुश्किल ओर संघर्ष भरा रहता है क्योंकि ये कोई एक परीक्षा का काम नहीं है , बल्कि ये किसी अधिवक्ता की पूरी जिंदगी में कि हुई वकालत का परिणाम होता है, फिर भी यदि कोई लोअर judiciary से प्रोमोशन में High Court पहुंच जाए तब भी ये मुश्किल कार्य होता है क्योंकि हाई कोर्ट का न्यायधीश बनने का मतलब पूरे राज्य की न्यायिक व्यवस्था की जिम्मेवारी लेना, पूरे राज्य में सभी न्यायलय से हताश होने के बाद ही लोग हाई कोर्ट पहुंचत है।
भारत में यदि सुप्रीम कोर्ट की सिवा हाई कोर्ट की प्रथम न्यायधीश की बात करे तो उसमे न्यायधीश लीला सेठ का ही नाम आता है, न्यायधीश लीला सेठ हिमाचल प्रदेश में मुख्य न्यायधीश रेह चुके हैं ओर यही से उन्हें प्रथम महिला मुख्य न्यायधीश बनने का श्र्य मिला था ओर उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में पहली बार न्यायधीश बनने का मोका मिला ओर यहां से उन्हें पहली महिला न्यायधीश का भी श्रेय मिला, वे देश कि ऐसी पहली महिला भी थीं, जिन्होंने लंदन बार परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया था।
भारत में पहला दरबार किसने लगाया ?
भारत में वैसे तो बहुत से दरबार लगते रहे है जिनका भारत की पुरानी सांस्कृतिक कथाओं में वर्णन मिलता है, इसका बहुत सी सनातन धर्म की धर्मिक पुस्तकों में भी वर्णन मिलता है, लेकिन हम फिलहाल भारत के ब्रिटिश काल कि है बात करेंगे, तो आपको बताते चले कि पहली बार ब्रिटिश इंडिया मे 1877 को दरबार लगा उसके बाद 1903, 1911 मे दरबार लगा।
सन 1877 का दरबार, जिसे प्रोकलमेशन दरबार यानी घोषणा दरबार भी कहा गया था, 1 जनवरी 1877 को महारानी विक्टोरिया को भारत की सामार्ज्ञी घोषित ओर राजनेतिक तिलक करने हेतु लगा था। यह मुख्यत एक राजनेतिक घटना मात्र थी। इसके बाद भी यह दरबार लगते रहे।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124 क्या है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124 भारत के उच्चतम न्यायलय यानी सुप्रीम कोर्ट का विवरण देता है 124 के अनुसार भारत का उच्चतम न्यायलय होगा जो कि एक मुख्य न्यायधीश ओर सत अन्य न्यायधीशों से मिलकर बनेगा जिसमे समय समय पर बदला भी गया है, वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधिश को मिला कर कुल 34 न्यायधिश सुप्रीकोर्ट मे कार्यरत हैं।
अनुच्छेद 124 के (2) मे उच्चतम न्यायलय के के न्यायधिश अन्य राज्यों के उच्च न्यायलय के न्यायधीशों के परामर्श के बाद ओर उच्चतम न्यायलय के मुख्य न्यायधीश से परामर्श के बाद ही राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर के उपरांत उन्हें नियुक्त करेगा, ओर वह अपनी सेवा 65 वर्ष तक देंगे ।
मुख्यन्यायधिश के परामर्श के सिवा कभी भी उच्चतम न्यायलय के न्यायधिश ओर मुख्य न्यायधिश की नियुक्ति नहीं होगी, कोई भी न्यायधीश राष्ट्रपति को लिखित मे अपना पत्र भेज कर अपना पद त्याग सकता है।
इसी के (3) ओर (a) (b) मे दिया गया है कि उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश के रूप में नियुक्ति केवल भारत के नागरिक कि होगी।
ओर किसी उच्च न्यायलय का 2 या 2 से अधिक न्यायलय के 5 वर्ष तक न्यायधीश रहा है।
किसी उच्च न्यायलय का या ऐसे दो या अधिक न्यायलयों का कम से कम दश वर्ष तक अधिवक्ता रहा है।
आपको हमारा लेख केसा लगा कॉमेंट बॉक्स में बताए, ओर किसी भी शिकायत सुझाव के लिए कॉन्टेक्ट अस मे जाए या कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करें। तब तक पड़ते रहिए kuchnyaa
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