श्रीखंड महादेव यात्रा | श्रीखंड महादेव की सम्पूर्ण कहानी ओर यात्रा से जुड़े जोखिम
श्रीखंड महादेव तक जाने कि सलाह या अनुमति कोई भी सरकार आधिकारिक तोर पर केवल 2 महीने के लिए देती है या तीन माह इससे अधिक नहीं देती ओर लोगो की सहायता के लिए सरकार के विशेष पुलिस जवानों कि टुकड़ी श्रीखंड महादेव की यात्रा में आपको बीच बीच में जरूर आपको दिखाई देगी वो भी केवल एक निश्चित अवधि में होते हैं हमेशा नहीं। ये 2 या तीन माह अमूमन मई जून या जून जुलाई रहते हैं अब इसकी जानकारी आप ऑनलाइन भी ले सकते हैं ।
मन्दिर कोई भव्य इमारत तो नहीं केवल चट्टान है वो भी लग भग 70 फिट के आस पास, मन्दिर के पास या पूजनीय चट्टान तक पहुंचने के लिए केवल साहस नहीं भक्ति की भी आवश्कता है ऐसा यहां पहुंचने वाले लोग भी बताते हैं कि बहुत से लोग यात्रा पूरी नहीं कर पाते चाहे वो कितने ही फिट हो लेकिन यहां नहीं पहुंच पाते, बहुत से लोग तो यात्रा के दौरान है अपनी अंतिम यात्रा पर चले गए ओर बहुत से लोग शिवलिंग के करीब पहुंचने वाले थे कि वे मृत्यु को प्राप्त हुए ।
यह मन्दिर हिमाचल के कुल्लु जिले के गावों जाओं में है ओर यहां से तीन किलोमीटर कि यात्रा सिंघाड़ गावों तक होती है ओर यही पहली बार आपकी रजिस्ट्रेशन ओर आपकी डिटेल ली जाती है इसके बाद एक लम्बी पैदल यात्रा श्रीखंड महादेव के लिए शुरू होती है आप तभी यहां आए यदि आपने काफी लम्बी लम्बी पैदल यात्रा की हो ओर आस्था तो होनी ही चाहिए पैदल यात्रा कैलाश यात्रा से भी भयावह है दृश्य केवल सुन्दर ओर आकर्षक ही नहीं है बल्कि खतरनाक दृश्य ओर आपके रोंगटे खड़े कर देने वाले प्राकृतिक दृश्य भी आपको दिखेंगे ।
श्रीखंड महादेव के पीछे की सम्पूर्ण कहानी।
बात करते है यहां से जुडी कहानी की तो भस्मा सुर राक्षस को महादेव ने वरदान दिया कि वो जिस पर भी हाथ रखेगा वो जल कर राख हो जाएगा तो राक्षस ने इस वरदान का दुरपयोग करना शुरू किया ओर देवताओं को भी जलाना उस राक्षस ने शुरू कर दिया देवता डर के मारे भागने लगे इसके बाद इस राक्षस ने भगवान शिव पर ही इस शक्ति का प्रयोग करने को सोचा ओर वह महादेव के पीछे लग गया इस पर महादेव भी अदृश्य हो गए ओर कहा जाता है कि काफी समय तक महादेव इसी पहाड़ पर एक शिला के रूप में तपस्या में लीन रहे ताकि वो राक्षस उन्हे ना खोज सके ।
इसके बाद भगवान विष्णु ने उस राक्षस का अंत स्त्री रूप धारण कर किया लेकिन महादेव शिला मे ही तपस्या मे रहे ओर वे शिला से बाहर नहीं आ रहे थे इस पर माता पार्वती ने भी इसी स्थान पर उनकी तपस्या की तब भगवान शिव शिला रूप त्याग कर वापिस अपने अवतार मे आए वही शिला श्रीखंड महादेव में शिवलिंग चट्टान के रूप में आज भी है।
इसके बाद महाभारत काल में जब पांडव वन वास मे थे तो भीम ने इसी स्थान पर अपनी तपस्या की ओर देवताओं को प्रसन्न किया ओर अन्य पांडवो ने भी इसी स्थान पर वन-वास कुछ समय के लिए बिताया ओर इसी स्थान पर भीम द्वार भी है, भीम ताल ओर उनके द्वारा निर्मित स्वर्ग सीढ़ी भी मौजूद है जो कि किसी कारण वश महाबली भीम पूरी नहीं कर पाए थे।
यात्रा में जोखिम ओर केसे लोग जा सकते है श्रीखंड महादेव यात्रा में।
मन्दिर तक यदि काफी लोग जा रहें हो तो समझ जाइए की लोग काफी संख्या में श्रीखंड महादेव भी पहुंच गए होंगे ओर जिसके परिणाम कुछ ही समय बाद आपको दिखने लगेंगे मतलब कि कुछ लोग की तो bodies पुलिस के जवान या लोकल लोगो द्वारा वापिस लाते हुए आपको दिखेंगे इस दृश्य को देख कर आपकी सारी हिम्मत ओर फिटनेस ख़तम होती आपको महसूस होगी ओर हो सकता है आप वापिस जाना जरूरी समझे।
लेकिन यदि आप में महादेव के लिए अपार भक्ति है तो आपको कोई भी दृश्य नहीं रोक पायेगा लेकिन आपको भय महसूस हो या रास्ते मुश्किल लगे तो शिव भक्ती को सिद्ध करने हेतु कोई भी जबरदस्ती ना करे आपको अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ सकता है तूरंत वापिस आए ओर जिंदगी रही तो फिर आप कभी कोशिश कर सकते हैं नहीं भी कर पाए तो ईश्वर की खोज आप अपने भीतर भी कर सकते है अड़ियल होने से आपके परिवार को कुछ हासिल नहीं होगा। लेकिन भक्ती अटूट हो ओर आपको लगे कि आप जा सकते हैं आपको दृश्य देख कर डर ना लगे आपका स्वास्थ्य ठीक रहे तो वापिस हठने का तो सवाल ही नहीं होता आप श्रीखंड महादेव जाकर स्वर्ग की ओर शिवलिंग के दर्शन करे ।
ये साइंटिफिकली सिद्ध है श्रीखंड महादेव की यात्रा दुनिया की सबसे ख़तरनाक यात्रा में से एक है। यात्रा के दौरान एक समय ऐसा भी आता है जब आपको दो पैर एक साथ रखने की जगह नहीं मिलेगी ओर बेहद खतरनाक उतराई ओर सीधी चड़ाई का सामना आपको करना होगा क्योंकि यह यात्रा बरसात के महीनों में ही खुलती है तो आप समझ सकते हैं कि हम किस प्रकार के रास्तों कि बात कर रहे हैं ।
एक समय ऐसा भी आएगा जब आपको चारो तरफ बर्फ से लदे पहाड़ दिखाई देंगे लेकिन कोई भी पेड़ या छोटा पोधा भी नहीं होगा ओर ओक्सीजन धीरे धीरे आपको कम ही महसूस होगी लेकिन जब आप यात्रा पूर्ण कर लेंगे तो इस कामयाबी को ओर श्रीखंड महादेव के दर्शन को हमारे लिए शब्दों में बयां करना सम्भव नहीं हैं।
सफ़र मे कुछ स्थान तक आपको लंगर की व्यवस्था मिलेगी ओर बीच बीच में लोकल लोग भी मिलते रहेंगे जो आपको आगे की यात्रा के बारे में बताएंगे ओर जानकारी देते रहेंगे लेकिन कोशिश करे कि जब आप सबसे पहले पैदल यात्रा शुरू करें तभी आप लोकल से सारी जानकारी ले ओर किस तरह का सामान रखना है ये भी जान लें क्योंकि रास्ता संकरा है तो ज्यादा सामान रखना भी मौत को दावत देने जैसा होगा ।
हम आपको यहीं कहेंगे पहले कभी ऊंचाई वाली जगह मे आपने कोई भी यात्रा नहीं कि है तो बिल्कुल भी ना जाए यहां बहुत बार 60 वर्ष कि आयु से अधिक के लोगो को यात्रा पूरी करते देखा गया है तो आप समझ सकते हैं कि यहां शारीरिक फिटनेस से ज्यादा मानसिक फिटनेस की जरूरत है क्योंकि एक समय ऐसा आता है जब आपको केवल रास्ता देखना होता है ओर पांवों को एक के बाद एक करके रखना होता है एक साथ पांव रखने कि जगह भी नहीं होती है।
Post a Comment