पुतिन का भारत दौरा 2025 — भारत-रूस सहयोग का नया अध्याय
पुतिन का भारत दौरा 2025 — भारत-रूस सहयोग का नया अध्याय
रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin भारत 4–5 दिसंबर 2025 को आए, यह उनकी पहली यात्रा है 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद।
यह दौरा था 23वीं India–Russia Annual Summit — और इस साल भारत-रूस ‘स्पेशल और प्रिविलेज्ड स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप’ की 25वीं वर्षगांठ भी मानी जा रही है।
India Today
प्रधानमंत्री Narendra Modi ने पुतिन का स्वागत एयरपोर्ट पर निजी रूप से किया — यह दिखाता है कि दोनों देशों के बीच संबंध कितने महत्वपूर्ण हैं।
इस दौरे के प्रमुख समझौते और घोषणाएँ
इस समिट में दोनों देशों ने कई बड़े एग्रीमेंट्स, योजनाएं और साझेदारी की रूपरेखा तय की — सिर्फ रक्षा या ऊर्जा तक सीमित नहीं, बल्कि व्यापक आर्थिक, व्यापार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक क्षेत्र तक। मुख्य बिंदु निम्न हैं।
2030 तक आर्थिक साझेदारी व व्यापार विस्तार
— भारत और रूस ने सहमति जताई कि वे 2030 तक व्यापार और आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाई पर ले जाएँगे। इसके तहत एक आर्थिक-सहयोग प्रोग्राम (Strategic Economic Cooperation Programme) अपनाने पर काम होगा।
— इसके जरिये, दोनों देशों ने यह लक्ष्य रखा है कि द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 100 billion USD तक ले जाएँ।
विवाह, ऊर्जा, परमाणु, टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में समझौते
ऊर्जा क्षेत्र में, रूसी ईंधन (oil/fuel) की “uninterrupted supply” की गारंटी दी गई — विशेष रूप से अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए sanctions के बीच।
परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में सहयोग — उदाहरण के लिए, भारत के Kudankulam Nuclear Power Plant प्रोजेक्ट पर रूस का सहयोग जारी रहेगा, और साथ ही छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) जैसे विकल्पों पर भी चर्चा हुई है।
स्वास्थ्य, कृषि, मीडिया / सांस्कृतिक सहयोग, labour-mobility (मजदूर/वर्कर मूवमेंट), टेक्नोलॉजी और औद्योगिक साझेदारी जैसे क्षेत्रों में समझौते तय हुए।
रक्षा व सैन्य-तकनीकी साझेदारी
एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता — Reciprocal Exchange of Logistic Support Agreement (RELOS) — पहले से ही भारत और रूस के बीच था; 2025 के दौरे से पहले, रूस की संसद (State Duma) ने इसे औपचारिक रूप से रैटिफाई कर दिया। इसके तहत दोनों देशों के सैन्य जहाज़, विमान आदि को आपसी सैन्य सुविधाओं, लॉजिस्टिक, supplies आदि की सुविधा मिलेगी।
इसके अलावा, भारत–रूस रक्षा साझेदारी अब सिर्फ हथियार खरीद तक नहीं रह कर, मिलकर रक्षा उत्पादन, आधुनिक हथियार प्रणाली, टेक-डेवलपमेंट और को-प्रोडक्शन की ओर बढ़ रही है।
व्यापार असंतुलन को संतुलित करना रूस में भारतीय निर्यात बढ़ाना
रूसी बाज़ार में भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पादों, इंजीनियरिंग गुड्स आदि की मांग बढ़ने के कारण, यह साझेदारी भारत के लिए नए आर्थिक अवसर ला सकती है।
कूटनीतिक और राजनीतिक महत्व
यह दौरा सिर्फ आर्थिक या रक्षा समझौते नहीं — बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी था: कि भारत अपनी विदेश नीति में स्वायत्त (strategic autonomy) बनाए रखना चाहता है। चाहे पश्चिम (specifically यूएस) कितना भी दबाव डाले, भारत-रूस मित्रता को वह कायम रखना चाहता है।
रूस की ओर से, इस दौरे ने यह दिखाया कि पश्चिमी प्रतिबंधों (sanctions) और वैश्विक दबावों के बीच, भारत रूस के लिए अब भी “भरोसेमंद साझेदार” है — विशेष रूप से ऊर्जा, रक्षा और रणनीतिक सहयोग में।
दोनों देश अब पारंपरिक “तेल–रक्षा” मॉडल से आगे बढ़कर — टेक्नोलॉजी, वैश्विक आपूर्ति-चेन, मानव संसाधन, को-निर्माण और आर्थिक विविधीकरण की ओर अग्रसर हैं। यह भारत-रूस रिश्तों का अब एक नया ढांचा तय कर रहा है।
निष्कर्ष यह दौरा क्यों अहम है
2025 में हुए इस दौरे के साथ, भारत–रूस साझेदारी अब एक नए मोड़ पर आ चुकी है — जहाँ सिर्फ हथियार या ऊर्जा नहीं, बल्कि कुल मिलाकर एक बहुआयामी, दीर्घकालिक और आधुनिक सहयोग की नींव रखी जा रही है।
यदि ये सारे समझौते और योजनाएँ सही से लागू हुए, तो आने वाले सालों में भारत को ऊर्जा, रक्षा, टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, कृषि, व्यापार और आर्थिक विकास — हर क्षेत्र में असर दिखने की उम्मीद है।
यह दौर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व की भू-राजनीति बदल रही है, पश्चिम-पूर्व (West–East) के दबाव बढ़े हुए हैं — ऐसे में भारत की इस रणनीतिक स्वायत्तता और दोस्ती (Russia के साथ) उसे एक स्वतंत्र और सुविधा संपन्न कूटनीतिक स्थिति देती है।

Post a Comment